बहुत शौक से उतरे थे इश्क के समुन्दर में..!!
एक ही लहर ने ऐसा डुबोया कि आजतक किनारा ना मिला.!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बहुत शौक से उतरे थे इश्क के समुन्दर में..!!
एक ही लहर ने ऐसा डुबोया कि आजतक किनारा ना मिला.!!
लोग पूछते हैं कौन सी दुनिया में जीते हो,
अरे ये मोहब्बत है दुनिया कहाँ नजर आती है।
हम मैं कुछ भी नहीं हैं तुम्हारे सिवा
तुम चाहो तो मेरी साँसों की तलाशी ले लो
पलको पर रूका है समन्दर खुमार का,
कितना अजब नशा है तेरे इंतजार का..!!
जब अल्फ़ाज़ पन्नों पे शोर करने लगें..
समझ लेना सन्नाटे बढ़ गये हैं दिल मे..
दिल भर गया हो तो मना करने में डर कैसा
मोहब्बत में बेवफाओं पर मुकदमा कहाँ होता है
जब कभी आंखों ने तेरे दीदार की सोंची
उलझी तन्हाई ,ख्वाबो से बगावत कर बैठी।
बदलता मौसम, बदलते लोग और बदलते रिश्ते ,
चाहे दिखाई ना दे, मगर ‘महसूस’ जरूर होते हैं..!!
वफा की बात चली तो कुछ रंज पुराने याद आए
दर्द के बिस्तर और वो भीगे सिरहाने याद आए!!
बांसुरी से सिख ले,
एक नया सबक ऐ-जिन्दगी,
लाख सीने में जख्म हो,
फिर भी गुनगुनाती है