मत पूछ मेरे जागने की बजह ऐ-चांद,
तेरा ही हमशक्ल है वो जो मुझे सोने नही देता….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मत पूछ मेरे जागने की बजह ऐ-चांद,
तेरा ही हमशक्ल है वो जो मुझे सोने नही देता….
घुट घुट के जीता रहे फ़रियाद न करे,
लाएँ कहाँ से, ऐसा दिल तुम्हें याद न करे…
दाद न देंगे तो भी शेर बेहतरीन रहेंगे
सजदा न भी करे ख़ुदा ख़ुदा ही रहेंगे…
पानी भी क्या अजीब चीज़ है नजर उन आँखों में आता है जिनके खेत सूखे हैं
बहुत संभल के चलने से….. थक गया है दिल
अब लड़खड़ा के धड़ाम से……. गिरने को जी
करता है
जिस्म के घाव तो,
भर ही जायेंगे एक दिन…
खेरियत उनकी पूछो,
जिनके दिल पर वार हुआ है…
दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया…,
कोई अच्छा लगा और बस…लगता चला गया…!
दो निवालों के खातिर मार दिया जिस परिंदे को..
बहुत अफ़सोस हुआ ये जान कर वो भी दो दिन से भूखा था|
कुछ चीज़े कमज़ोर की हिफाज़त में भी महफूज़ हैं …
जैसे,
मिट्टी की गुल्लक में लोहे के सिक्के ….
लबों से गाल फिर सफ़र तेरी नज़र तक का ..
तौबा,बहुत कम फ़ाँसलें पर इतने मयख़ाने नहीं होते …