निगाहें नाज़ करती है

निगाहें नाज़ करती है
फ़लक के आशियाने से,

खुदा भी रूठ जाता है
किसीका दिल दुखाने से..!!
लाखों ठोकरों के बाद भी,
संभलता रहूँगा मैं..

गिरकर फिर उठूँगा,
और चलता रहूँगा मैं..

ग्रह-नक्षत्र जो भी चाहें,
लिखें कुंडली में मेरी..

मेहनत से अपना,
नसीब बदलता रहूँगा मैं.
लिखने वाले ने क्या खूब लिखा है…

जिंदगी जब”मायूस”होती है
तभी”महसूस”होती है…