इतना क्यों चाहा

इतना क्यों चाहा तुमने मुझसे
मैं खुद से कितना दूर हो गया

जिन्दा रखने आशाए तुम्हारी
सब सहने को मजबूर हो गया

इस प्यार ने जीवन में मुझको
हरदम इतना तड़पाया है

जब चाह हुई है हँसने की
आँखों से पानी आया है.

कुछ तोहफे लाये हैं

कुछ तोहफे लाये हैं हम तुम्हारे लिए
सुर्ख ताज़े गुलाबों की रंगत और ख़ुशबू
जिंदगी,वफ़ा और रिश्तों के मायनें भी
तुम सहेज कर रखोगी ना ये सब…?

इंसान ना कुछ

इंसान ना कुछ हंसकर सीखता है
ना कुछ रोकर सीखता है
जब भी कुछ अलग सीखता है तो,
या तो किसी का होकर सीखता है…
या फिर किसी को खोकर सीखता है…!!!