हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में…..
Category: लव शायरी
भूलना सीखिए जनाब
भूलना सीखिए जनाब
एक दिन दुनिया भी यही करने वाली है|
कुछ तो है
कुछ तो है जो बदल गया
जिन्दगी में मेरी…
अब आइने में चेहरा मेरा
हँसता हुआ नज़र नहीं आता
सहम सी गयी है
सहम सी गयी है ख्वाइशें..
जरूरतों ने शायद उनसे….ऊँची आवाज़ में बात की होगी।
लतीफे छेड़ कर मैं
लतीफे छेड़ कर मैं अपनी माँ को जब हंसाता हूँ
मुझे महसूस होता है कि जन्नत मुस्कुराती है
कभी बेपनाह बरसी
कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं…
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं…
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कोई दिल से चाहने वाला जनाब
यहाँ समझोतों पर सब रिश्ते चल रहे है|
जिस घाव से
जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
जिएँ तो अपने बग़ीचे में
जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए
जहा शेरो पर चुटकलों सी
जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो…
वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…