मरने अगर न पाई तो ज़िन्दा भी कब रही ..
तन्हा कटी वो उम्र जो थी तेरे साथ की …
Category: लव शायरी
कुछ ऐसी भी
कुछ ऐसी भी गुज़री हैं तेरे हिज्र में रातें
दिल दर्द से ख़ाली हो मगर नींद न आए
हर रात कुछ खवाब
हर रात कुछ खवाब अधूरे रह जाते हैं…
किसी तकिये के नीचे दबकर अगली रात के लिये….
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से,
महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो|
सिर्फ महसूस किये जाते हैं
सिर्फ महसूस किये जाते हैं;
कुछ एहसास कभी लिखे नहीं जाते..।।
तुम तो डर गए
तुम तो डर गए एक ही कसम से..!
हमें तो तुम्हारी कसम देकर हजारो ने लूटा है..!
सवाल ज़हर का नहीं
सवाल ज़हर का नहीं था
वो तो हम पी गए
तकलीफ लोगो को बहुत हुई
की फिर भी हम कैसे जी गए
चल चल के थक गया है
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई,
क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…
हम रोऐ भी ….
हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके….
और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई|
हमारी इस अधूरी कहानी में
हमारी इस अधूरी कहानी में वफ़ा के सबूत मत माँग मुझसे,
मैंने तेरी ख़ातिर वो आँसु भी बहाए है जो तेरी आखों में थे…