सवाल ज़हर का नहीं था
वो तो हम पी गए
तकलीफ लोगो को बहुत हुई
की फिर भी हम कैसे जी गए|
Category: लव शायरी
उल्टी हो गईं
उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया|
वो इस तरह
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे……!
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बारिश में भीग के आये थे मिलने, शायद वो आंसु छुपा रहे थे…!!
सारे मुसाफिरों से
सारे मुसाफिरों से ताल्लुक निकल पड़ा
गाड़ी में इक शख्स ने अखबार क्या लिया…
सोचा था छुपा लेंगे
सोचा था छुपा लेंगे अपना ग़म…
पर ये कम्बख़त “आँखे” ही दगा कर गयीं…
इश्क का समंदर
इश्क का समंदर भी क्या समंदर है,
जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…
कोई बताये की
कोई बताये की मैं इसका क्या इलाज करूँ
परेशां करता है ये दिल धड़क-धड़क के मुझे……….
तेरे बगैर भी
तेरे बगैर भी कहती है मुझे जीने को ये
जिदंगी भी सही मशविरा नही देती।
चाँद बताने के वास्ते
अपने दिए को चाँद बताने के वास्ते,
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बस्ती का हर चराग बुझाना पड़ा हमे
जिंदगी जीने के लिए
जिंदगी जीने के लिए मिली थी,
लोगों ने सोचने में गुजार दी !!