गुजरूँगा तेरी गली से अब गधे लेकर
क्यों कि तेरे नखरों के बोझ
मुझसे अब उठाए नहीं जाते….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुजरूँगा तेरी गली से अब गधे लेकर
क्यों कि तेरे नखरों के बोझ
मुझसे अब उठाए नहीं जाते….
हमे क्या मालुम था ईस तरह रास्ते मै छोड के जायेगी पगली,
पता होता तो साथ मे साईकल तो ले आते..
मैंने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरह
तू मेरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा|
जमाने में कभी भी किस्मतें बदला नही करती!!
उम्मीदों से भरोसों से दिलासों से सहारों से
एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।
शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के बिंदु का बिपाशा है
मरहम की बात होठो से ना करो
मोन ही तो प्रेम की परिभाषा |
न चमन है , न गुल है ,न मौसम-ए-बहार है
मेरी भी जिंदगी क्या खूब है – सिर्फ इन्तजार है।
एक एक पन्ना हर कोई बांट लेते है मतलब की…
सुबह-सुबह मां घर में अखबार जैसे हो जाती है…
सबूतों और गवाहों की साहब… यहाँ सेल नहीं होती,
आपने जुर्म-ए-मोहब्बत किया है, इसमें बेल नहीं होती।
शाख़ें रहीं तो फूल और पत्ते भी ज़रूर आयेंगे…
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी ज़रूर आयेंगे…!!!