महफ़िल भले ही प्यार वालों की हो…
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शराबी ही लाता हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
महफ़िल भले ही प्यार वालों की हो…
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शराबी ही लाता हैं…
मोहबत करो उस रब से फरेब की जरूरत नही पड़ेगी
माफ़ करेगा लाखो गुनाह कहने की जरूरत नही पड़ेगी|
कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो..
पहले भी हम बुरे थे, अब थोड़े और सही…!!
यादों की चिलमन बनाके यादों को दरकिनार किया
फिर याद-ए-मोमिन लिए, यादों को ला’-तज़ार किया ।।
कभी आँसू….
कभी सजदे…
कभी हाथों का उठ जाना…
मोहब्बत हो जाये तो…
खुदा बहुत याद आता है…!!
फासलों से अगर.. मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी…
तो तुम्हे हक़ है.. कि तुम… दूरियां बना लो मुझसे….
आंखें भी खोलनी पड़ती हैं उजाले के लिए…
सूरज के निकलने से ही अँधेरा नहीं जाता….
मेरी नाराज़गी तुमसे नहीं, तुम्हारे वक्त से है,
जो तुम्हारे पास मेरे लिए नहीं है..
अपनों के बीच,
गैरो की याद नहीं आती।
और गैरो के बीच,
कुछ अपने याद आते हैं।
मेरी याद कयामत की तरह है..
याद रखना..आएगी जरूर..