घुट घुट कर जीना पड़ रहा है…
ऐसा करो तुम आ कर गला दबा जाओ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घुट घुट कर जीना पड़ रहा है…
ऐसा करो तुम आ कर गला दबा जाओ…
दो हिस्सों में बंट गए हैं, मेरे दिल के तमाम अरमान।
कुछ तुझे पाने निकले, तो कुछ मुझे समझाने निकले.!
फ़िक्र तो तेरी आज भी है..
बस .. जिक्र का हक नही रहा।
निगाहों से भी चोट लगती है.. जनाब..
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है..!!
अब तो उसको याद करना भी बड़ा मुश्किल है जनाब
कहकी है अच्छा नहीं लगता वक्त बे वक्त तुम याद करते हो|
ख़याले यार में नींद का तसव्वुर कैसा !
आँख लगी ही नहीँ… आँख लगी है जबसे !!
फासले और बना लो एतराज़ कब किया हमने
तुम भुला ना सकोगे वो अंदाज़ हूँ मैं….
अगर ये चाँद सूरज …. बीच में …… आये नहीं होते…
मिलन अब तक ज़मीं और आसमां का हो चुका होता…
हर फैसले होते नहीं सिक्के उछाल कर
यह दिल के मामले है.. जरा संभल कर|
तेरी चाहत तो मुक़द्दर है मिले न मिले
राहत ज़रूर मिल जाती है तुझे अपना सोच कर|