गिरा ना पाओगे लाख चाहकर भी मेरी शख्सियत को,
मेरा कारवां मेरे चाहने वालों से चलता हैं न की नफरत करने वालों से…!!!
Category: मौसम शायरी
मत तरसा किसी को
मत तरसा किसी को इतना,अपनी मोहब्बत के लिये..
क्या पता तेरी ही मोहब्बत पाने के लिए, जी रहा हो कोई….
इश्क कौन सा जरूरी है..
तेरी खामोशी अगर
तेरी मजबुरी है…
तो रहने दे इश्क
कौन सा जरूरी है..
तेरी मौहब्बत के कर्ज का
तेरी मौहब्बत के कर्ज का,अब कैसे हिसाब हो….
तू गले लगाकर कहती है,आप बड़े खराब हो…
भूलना सीखिए जनाब
भूलना सीखिए जनाब
एक दिन दुनिया भी यही करने वाली है|
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कोई दिल से चाहने वाला जनाब
यहाँ समझोतों पर सब रिश्ते चल रहे है|
जिस घाव से
जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..
जिएँ तो अपने बग़ीचे में
जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए
जहा शेरो पर चुटकलों सी
जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो…
वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…
मैं ढूढ़ रहा था
मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर,
नशा निकला नकाब के अंदर .!!