नाज है मुझे

नाज है मुझे मेरे प्यार पर , ना वो बेवफा ना मै बेवफा ….. बस मॉ – बाप के फर्ज ने हमको जुदा किया …….!!

कायम है इश्क

बरसो से कायम है इश्क अपने उसुलो पे.. ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता है

वो मेरे पास

वो मेरे पास नहीं मेरे दिल के पास तो है चिराग एक है और दो घरो में जलता हैं

चलो छोड़ दो

चलो छोड़ दो मुझकों मग़र इतना तो बता दो की तुम मुझें याद करते थे या वक़्त बर्बाद करते थे !!!

प्यार उम्मीद से

तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर, प्यार उम्मीद से काम हो तो सजा ए मौत दे देना..

अपनी महफ़िल से

ग़रीब समझकर आज उसने उठा दिया हमें अपनी महफ़िल से ? . कोई मेरी ख़ातिर पूछे उनसे, क्या चाँद की महफ़िल में सितारे नहीं होते ??

आज मौसम ने भी

आज मौसम ने भी की बचकानी हरकत दो बून्द कशिश के साथ बस एहसास दिलाकर चला गया.. महसूस कुछ यूँ हुआ कि वो पास आकर चला गया..!!

आओ कभी यूँ

आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये

तुम मुझे भूल जाओ

तुम मुझे भूल जाओ ..ये तुम्हारी मर्जी .. “लेकिन” मैं क्या करूँ .. मुझे तो भूलना भी नहीं आता !

सबका होता गया

किस्मत बुरी या मै बुरा फैसला हो ना सका ! मै सबका होता गया कोई मेरा हो ना सका !!

Exit mobile version