तब्दिलियाँ और समझौते

कुछ तब्दिलियाँ और समझौते कर लिए हैं हालात – ए ज़िदंगी से हमने
अब आकाश में मौन तलाशते हैं और पीछे मुड़ कर देखने की आदत छोड़ दी है !!

ना जाने कितनी

ना जाने कितनी अनकही बातें कितनी हसरतें साथ ले जाएगें,
लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें!!