कुछ लोगों को लगता है,
उनकी चालाकियाँ मुझे समझ नही आती….
और मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ,उनको अपनी नज़रों से गिरते हुए…!!
Category: मौसम शायरी
आज भी बेखबर है
तुम गैर हो चुके हो इस बात की ज़माने को खबर है,
पर हम तो सिर्फ तेरे ही है इस बात से तू आज भी बेखबर है !!
तन्हाईयों में बैठ कर
तन्हाईयों में बैठ कर तुम क्या सोचते हो क्या
कुछ हमें भी बताओ परेशान हम भी है
इश्क़ के चर्चे
इश्क़ के ख़याल बहुत हैं.. इश्क़ के चर्चे बहुत हैं..
सोचते हैं हम भी कर ले इश्क़.. पर सुनते हैं इश्क़ में खर्चे बहुत हैं..
काँटो की कगार पर
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर
और फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर
तेरे शहर का
हर किसी के हाथ में
बिक जाने को तैयार नही
ये मेरा दिल है
तेरे शहर का अखबार नही
पुछा हाल शहर का
पुछा हाल शहर का, तो उसने सर झुका के कहा,
लोग तो जिंदा है, ज़मीर का पता नहीं.
पगली कहती थी कि
पगली कहती थी कि वो मेरी रग-
रग से वाकिफ है,
फिर भी मेरे दिल से निकलनेका
रास्ता नहीं ढुढ़ पाई…!!
मोहब्बत में जबरदस्ती
मोहब्बत में जबरदस्ती अच्छी नहीं होती….
तुम्हारा जब भी दिल चाहे मेरे हो जाना..!!!
कौन समझ पाया है
कौन समझ पाया है आज तक हमें..?
हम अपने हादसों के इक लौते गवाह हैं..!!