तुम्हारी बज़्म से निकले तो हम ने ये सोचा
ज़मीं से चाँद तलक कितना फ़ासला होगा
Category: मौसम शायरी
घंटों बातें करके भी
खतों से मीलों सफर करते थे जज़्बात कभी,
अब घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते…!
तेरे शहर में
तेरे शहर में आने को हर कोई तरसता है
लेकिन वो क्या जाने
वहां कोई नही पहुँचता है
जो पहुँचता है
वो तुझसा ही होकर
कोई खुद सा वहां कब पहुँचता है
ये तो कुछ शब्दों का भ्रम जाल है इन मंदिर में रखी किताबो का
जो हर कोई तुझसे मिलने को तरसता है
खुल जाए अगर भ्रम काबा-ए-काशी
तो कौन फिर जान कर सूली पे चढ़ता है
वो जो शराब है तेरी
जिसे कहते मोहब्बत
पीने के बाद ही पतंगा
शमा पे मरता है
यूँ ही कोई क़ैस कहा लैला पे मरता है
जान कर
कोई कहाँ
सूली पे चढ़ता है ….
बड़ी मुसीबत आने पर
क़ाबिलियत, ताक़त को ज़िन्दा रखिये….तराशिये….
धूल मत जमने दीजिये…ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत
आने पर भी ऊँची उड़ान भर पायेंगे
इश्क़ की कीमत
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
जिंदा रहने की ख्वाहिश
किसी के अंदर जिंदा रहने की
ख्वाहिश में …
हम अपने अंदर मर जाते हैं ..
यही कहानी है
आजकल के हर आशिक की अब तो यही कहानी है,
मजनू चाहता है लैला को, लैला किसी और की दीवानी है..
तुम्हारी बेरुखी भी
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
प्यार ख़ामोश रहकर
लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है,
और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..
मेरे ख्याल में था
सा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था, बस वैसा नहीं था वो….