कुछ बन जाऊ

माना की आज इतना वजुद नही हे मेरा पर…

बस उस दिन कोई पहचान मत निकाल लेना जब मे कुछ बन जाऊ…

शायरी कि जुँबा

लगने दो आज महफिल ….
शायरी कि जुँबा में बहते है ….
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तुम ऊठा लो किताब गालिब कि ….
हम अपना हाल ए दिल कहते है