आइये बारिशों का मौसम है,
इन दिनों चाहतों का मौसम है…..
Category: बेवफा शायरी
तू बिल्कुल चिलम सी
तू बिल्कुल चिलम सी कड़क
और
मैं बिल्कुल धुँआ धुँआ सा…
शिकायतें बचा कर
शिकायतें बचा कर रखिये,मोहब्बत अभी बाकी है।
जब से उसने बारिश में
जब से उसने बारिश में भीगना छोड़ दिया,
बादलों ने मेरे शहर में बरसना छोड़ दिया।
अब तो पत्थर भी
अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझसे,
कहते है अब तो ठोकर खाना छोड़ दे !!
चोरी न करें
चोरी न करें,झूठ न बोलें तो क्या करें
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को…
वक़्त किसी का ग़ुलाम
लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता
फिर तेरी मुस्कराहट पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है|
निकाल दिया उसने
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
मेरे इक अश्क़ की
मेरे इक अश्क़ की तलब थी उसको
मैंने बारिश को आँखों में बसा लिया |
किन लफ्ज़ों में
किन लफ्ज़ों में बयाँ करूँ मैं एहमियत तेरी..
तेरे बिन अक्सर मैं अधुरा लगता हूँ..