कागज पर गम को उतारने के अंदाज ना होते,
मर ही गए होते अगर शायरी के अलफ़ाज़ ना होते।।
Category: बेवफा शायरी
करूँ क्यों फ़िक्र
करूँ क्यों फ़िक्र कि
मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी
जहाँ होगी महफिल यारो की
मेरी रूह वहा मिलेगी|
इश्क़ का कैदी
इश्क़ का कैदी बनने का अलग ही मज़ा है,
छुटने को दिल नहीं करता और उलझने में मज़ा आता है।।
उसकी ज़िंदगी में
उसकी ज़िंदगी में थोड़ी सी जगह माँगी थी मुसाफिरों की तरह,
उसने तन्हाईयों का एक शहर मेरे नाम कर दिया।
कांच के टुकड़े
कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है
ज़िन्दगी मेरी…
किसी ने समेटा ही नहीं…
हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…
मैं अभी तक समझ नहीं पाया
मैं अभी तक समझ नहीं पाया तेरे इन फैसलो को ऐ खुदा,
उस के हक़दार हम नहीं या हमारी दुआओ में दम नहीं !!
होती है मुझ पर
होती है मुझ पर रोज़ तेरी
रहमतों के रंगों की बारिश…
मैं कैसे कह दूँ…?
होली साल में एक बार आती है…?
गुज़रती शब का
गुज़रती शब का हर इक लम्हा कह गया मुझसे
सहर के बाद भी इक रात आने वाली है…
जो मेरी लिखावट है
भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है,
स्याही में थोड़ी सी, मेरे अश्कों की मिलावट है !!
हसरतें आज भी
हसरतें आज भी ख़त लिखती हैं मुझे…
मगर अब हम पुराने पते पर नहीं रहते ..