किस्मत की लकीरों में नहीं था नाम उसका शायद,
जबकि उनसे मुलाकात तो हर रोज़ होती थी।
Category: बेवफा शायरी
जाने कितनी रातों की
जाने कितनी रातों की नीदें ले गया वो,
जो पल भर मौहब्बत जताने आया था।
तुम्हारे पास कोई
तुम्हारे पास कोई यकीन का ईक्का हो तो बतलाना,
हमारे भरोसे के तो सारे पत्ते जोकर निकले…!!
सोचा था इस कदर
सोचा था इस कदर उनको भूल जाएंगे,
देख कर भी उन्हें अनदेखा कर जायेंगे,
जब सामने आया उनका चेहरा, तो सोचा,
बस इस बार देख लें, अगली बार भूल जाएंगे…..
लोग पढ़ लेते है
लोग पढ़ लेते है आँखों से मेरे दिल की बात…!!
अब मुझसे तेरी मोहब्बत की हिफाजत नहीं होती……!!
चेहरे के रंग
चेहरे के रंग को देखकर दोस्त ना बनाना.. दोस्तों ..
तन का काला तो चलेगा लेकिन मन का काला नहीं।
कुछ इस तरह से
कुछ इस तरह से
लिपटी थी फूल से तितली
पता चल ही न सका..
किसे कौन ज्यादा प्यार करता है|
लौट आती है
लौट आती है हर बार मेरी दुआ खाली,
जाने कितनी ऊँचाई पर खुदा रहता है।
सुकून मिलता है
सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर
कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती|
जाऊँ तो कहा जाऊँ
जाऊँ तो कहा जाऊँ इस तंग दिल दुनिया में,
हर शख्स मजहब पूछ के आस्तीन चढ़ा लेता है…!