कीसीने युंही पुछ लिया की दर्दकी किमत क्या है?
हमने हंसते हुए कहा, पता कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है।
Category: बेवफा शायरी
फासले इस कदर
फासले इस कदर आज है रिश्तों में,
जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किश्तों में
सियाही फैल गयी
सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले,
और एक एक कर के डूब गए..
ये भी क्या सवाल हुआ
ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए,
.
दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
आँखों की दहलीज़ पे
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से…
घर तो आखिर घर होता है…
तुम रह लो या मैं रह लूँ….
तेरे हर ग़म को
तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ;
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ;
मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी;
सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।
कितनी अजीब जगह है
दुनिया भी कितनी अजीब जगह है;
जब चलना नही आता था, तब कोई गिरने नही देता था;
और जबसे चलना सिखा है, कदम कदम पर लोग गिराना चाहते है!
जो कभी किया ना
जो कभी किया ना असर शराब ने,
वो तेरी आँखों वे कर दिया,
सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी,
मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..
जीने की कुछ
जीनेकी कुछ तो वजह होनी चाहिए…..वादे ना सही.. यादे तो होनी चाहिए…….!!
आ थक के कभी
आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम
. . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।