तेरे पास जो हैं

तेरे पास जो हैं उसकी क़द्र कर औऱ सब्र कर दीवाने,
यहाँ तो आसमां के पास भी, खुद की जमीं नहीं हैं…..

सब कुछ है

सब कुछ है नसीब में, तेरा नाम नहीं है
दिन-रात की तन्हाई में आराम नहीं है

मैं चल पड़ा था घर से तेरी तलाश में
आगाज़ तो किया मगर अंजाम नहीं है

मेरी खताओं की सजा अब मौत ही सही
इसके सिवा तो कोई भी अरमान नहीं है

कहते हैं वो मेरी तरफ यूं उंगली उठाकर
इस शहर में इससे बड़ा बदनाम नहीं है….

पहले कभी ये यादें

पहले कभी ये यादें ये तनहाई ना थी,
कभी दिल पे मदहोशी छायी ना थी,
जाने क्या असर कर गयीं उसकी बातें,
वरना इस तरह कभी याद किसी की आयी ना थी।

तेरी शब मेरे

तेरी शब मेरे नाम हो जाये
नींद मुझ पर हराम हो जाये

लौट आता है घर परिन्दा भी
इससे पहले कि शाम हो जाये