मत पूछ मेरे जागने की बजह ऐ-चांद,
तेरा ही हमशक्ल है वो जो मुझे सोने नही देता….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मत पूछ मेरे जागने की बजह ऐ-चांद,
तेरा ही हमशक्ल है वो जो मुझे सोने नही देता….
घुट घुट के जीता रहे फ़रियाद न करे,
लाएँ कहाँ से, ऐसा दिल तुम्हें याद न करे…
दाद न देंगे तो भी शेर बेहतरीन रहेंगे
सजदा न भी करे ख़ुदा ख़ुदा ही रहेंगे…
पानी भी क्या अजीब चीज़ है नजर उन आँखों में आता है जिनके खेत सूखे हैं
दो निवालों के खातिर मार दिया जिस परिंदे को..
बहुत अफ़सोस हुआ ये जान कर वो भी दो दिन से भूखा था|
लिखते जा रहे हो साहब
मोहब्बत हो गई..या खो गई है|
मुस्कुराहटे तो कई खरीदी थी..
मेरे चेहरे पर कोई जंची ही नही..
ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद
ख़ुदा की कसम लोग खूबसूरत बहुत है, पर वफ़ादार
नही |
कौन देगा चाय के पैसे? मुसीबत थी यही,
इसलिए सब धीरे-धीरे चुस्कियां लेते रहे।
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बँटवारे का
लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग रहते हैं।