माना कि औरों के जितना मैंने पाया नहीं..
मगर खुश हूँ.. कि खुद को गिरा कर, कुछ उठाया नहीं..!!!
Category: बेवफा शायरी
इतनी भी संजीदगी
इतनी भी संजीदगी अच्छी नहीं
बात वो दिल में दबा कर रह गए
मैंने उनके तिल की जब तारीफ़ की
बस उसी पे तिलमिला कर रह गए|
जिस दिन सादगी
जिस दिन सादगी श्रृंगार हो
जाएगी,
उस दिन आईनों की हार हो
जाएगी..
लब ये ख़ामोश रहेंगे
लब ये ख़ामोश रहेंगे ये तो वादा है मेरा
कुछ अगर कर दें निगाहें तो ख़फा मत होना|
गुलाब देने से
गुलाब देने से अगर मोहब्बत हो जाती.!
तो माली सारे ‘शहर’ का महबूब बन जाता.!
मेरे जख्मो पर एक बार
वो नमक जो तूने मेरे जख्मो पर एक बार डाला था
.
वो मेरे आंसुओ में आज भी अक्सर निकलता है।
दिल बेतहाशा दुखता है
दिल बेतहाशा दुखता है जनाब
अपनों के बीच पराये बन कर देखो..
हमने दुनिया में
हमने दुनिया में मुहब्बत का असर ज़िन्दा किया है ,
हमनें दुश्मन को गले मिल-मिल के शर्मिन्दा किया है…!
अगर फितरत हमारी
अगर फितरत हमारी सहने की नहीं होती,
तो हिम्मत भी तुम्हारी कहने की नहीं होती !!
किसकी पनाह में
किसकी पनाह में तुझको गुज़ारे ऐ जिंदगी,
अब तो रास्तों ने भी कह दिया है, कि घर क्यों नहीं जाते !