मेरी नज़र में

मेरी नज़र में तो सिर्फ तुम हो, कुछ और मुझको पता नहीं है तुम्हारी महेफिल से उठ रहा हूँ, मगर कहीं रास्ता नहीं है|

मुड़ के देखा तो

मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते
प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा

दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो
आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|