वाकिफ तो रावण भी था, अपने अंजाम से…..
जिद तो अपने अंदाज से जीने कि थी……
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वाकिफ तो रावण भी था, अपने अंजाम से…..
जिद तो अपने अंदाज से जीने कि थी……
दिल को हल्का कर लेता हूँ लिख-लिख कर।
लोग समझते हैं मैं शायर हो गया हूँ।।
बुरी आदतें अगर, वक़्त पे ना बदलीं जायें…
तो वो आदतें, आपका वक़्त बदल देती हैं”…..
जब तक हम ये जान पाते हैं कि ज़िन्दगी क्या है तब तक ये आधी ख़तम हो चुकी होती है.