जाने क्यूँ आजकल

जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुत
यादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत
पनपने नहीं देता कभी, बेदर्द सी उस ख़्वाहिश को
महसूस तुम्हें जो करने की, कोशिश करती है बहुत..

कभी जो लिखना

कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ

अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..

हम तो पागल हैं

हम तो पागल हैं शौक़-ए-शायरी के नाम पर ही

दिल की बात कह जाते हैं और कई

इन्सान गीता पर हाथ रख

कर भी सच नहीं कह पाते है…

उम्र भर के

उम्र भर के आंसू ज़िन्दगी भर का ग़म,
मोहब्बत के बाज़ार में बहुत महंगे बिके हम !!