क्या बतायें,.. हमारी निगाह में क्या हो तुम खुदा का डर है
वरना कह दूँ की खुदा हो तुम |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्या बतायें,.. हमारी निगाह में क्या हो तुम खुदा का डर है
वरना कह दूँ की खुदा हो तुम |
खुदगर्ज हो गया हूँ मैं तम्हारे प्यार में
बहुत तक़लीफ़ देता है तेरा किसी और से मिलना भी|
बात सबको ये , बताते हुए घबराते हैं ..
तेरे ही ख्व़ाब में हम, तुझसे ही शरमाते हैं |
मेरी तड़प तो कुछ भी नहीं है,
सुना है उसके दीदार के लिए आईने तरसते है…
लिखना है मुझे भी,कुछ गहरा सा,
जिसे कोई भी पढे, समझ बस तुम सको |
बंदगी हमने छोड़ दी फ़राज़
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ|
इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ|
मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के,
ये लफ्ज़ कबूतरों से चले आतें हैं|
बहुत करीब से अंजान बन के गुज़री है…!
.वो जो बहुत दूर से पहचान लिया करती थी….!!
हमे अच्छा नही लगता…
कि तुम्हे कोई अच्छा लगे |