तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी…
में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी…
में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…
हमारा भी खयाल कीजिये कही मर ही ना जाये हम,
बहुत ज़हरीली हो चुकी है अब ये खामोशीयां आपकी..
उनके रूठ जाने में भी एक राज़ है साहब,
वो रूठते ही इसलिए है की कहीं अदायें न भूल जाएं।।
कुछ ख़्वाब देखे ….
फिर ख्वाहिशें बनी …
अब यादें हैं …!!
आपने ने तीर चलाया तो कोई बात ना थी,
और हमने जखम दीखाये तो बुरा मान गए….!!
मरते होंगे लाखों तुझ पर
हम तो तेरे साथ मरना चाहते है !!
कटता नहीं है बिन तेरे लम्हा-दो-लम्हा मेरे,
जाने क्या सोच के उम्र भर का फैसला किया..
आपके चलने की भी क्या खूब अदा है
तेरे हर कदम पे एक दिल टूटता है|
कब तक समझाऊं यूँ बहाना तिनके का करके
लो आज कहता हूँ ये आँसू तेरी याद के है|
मतलबी दुनिया के लोग खड़े है, हाथों में पत्थर लेकर……..!!
मैं कहाँ तक भागूं, शीशे का मुकद्दर लेकर……..