एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई,
एक तुम हो , जिसका
कोई नहीं जवाब.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई,
एक तुम हो , जिसका
कोई नहीं जवाब.
फलसफा सीखना है ज़िंदगी का उन परिंदों से,
जो कूड़े में पड़ा गेंहू का दाना ढूंढ लेते हैं।।
कौन कहता है ,आंसुओं में वजन नहीं होता एक आंसू भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता |
मुस्कुरा देता हूं अक्सर देख कर पुराने खत तेरे..
तु झुठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी…!!
क्या हो जब इश्क अकेलेपन से हो जाए..
साथ होना किसी का या ना होना इक सी बात हो जाए..!!
मौसम को इशारों से बुला क्यूँ नहीं लेते
रूठा है अगर वो तो मना क्यूँ नहीं लेते
दीवाना तुम्हारा है कोई ग़ैर नहीं है
मचला भी तो सीने से लगा क्यूँ नहीं लेते
ख़त लिख कर कभी और कभी ख़त को जलाकर
तन्हाई को रंगीन बना क्यूँ नहीं लेते
तुम जाग रहे हो, मुझे अच्छा नहीं लगता
चुपके से मेरी नींद चुरा क्यूँ नहीं लेते |
इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद|
कुछ लोग कहते है की बदल गया हूँ मैं,
उनको ये नहीं पता की संभल गया हूँ मैं,
उदासी आज भी मेरे चेहरे से झलकती है,
पर
अब दर्द में भी मुस्कुराना सीख गया हूँ मैं|
तख्तियां अच्छी नहीं लगती,
मुझे उजड़ी हुई ये बस्तियां अच्छी नहीं लगती !
चलती तो समंदर का भी सीना चीर सकती थीं,
यूँ साहिल पे ठहरी कश्तियां अच्छी नहीं लगती !
खुदा भी याद आता है ज़रूरत पे यहां सबको,
दुनिया की यही खुदगर्ज़ियां अच्छी नहीं लगती !
उन्हें कैसे मिलेगी माँ के पैरों के तले जन्नत,
जिन्हें अपने घरों में बच्चियां अच्छी नहीं लगती !
उठो तो ऐसे उठो, फक्र हो बुलंदी को भी..
झुको तो ऐसे झुको, बंदगी भी नाज़ करे”..!!