अमल से ज़िंदगी बनती है
जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत
में न नूरी है न नारी है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अमल से ज़िंदगी बनती है
जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत
में न नूरी है न नारी है|
ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत सब फ़रेब के आईनें हैं,
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ऐ खुदा
हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं.
अक्ल के पास खबर के सिवा कुछ भी नही ।
तेरा इलाज नजर के सिवा कुछ भी नही।
ऐ जिंदगी, तुझे हम भी हर पल यूँ सताएं
तो क्या तमाशा हो
जो तुझ से कर के हर वादा यूँ न निभाएं
तो क्या तमाशा हो
जो हम भी हर बात पर यूँ एहसान जताएं
तो क्या तमाशा हो
जो कभी हमारे दिल तक न पहुँचे तेरी सदाएं
तो क्या तमाशा हो
जो हम भी न माफ़ करे तेरी ये खताएं
तो क्या तमाशा हो
जो न बरसे कभी, बन जाएं वो घटाएं
तो क्या तमाशा हो
जो हम भी सीख लें तेरी वाली बफ़ाएं
तो क्या तमाशा हो
जरा सोच तो, जो हम न देखे तेरी ये अदाएं
तो क्या तमाशा हो|
बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई,
कल शाम मेरे शहर से आंधी,
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं,
जिन में हुनर था थोडा झुक जाने का ।।।
डाल दिया नावों ने डेरा किनारे
कन्दील पानी में रात जलती रही |
इश्क़ नाजुक है बहुत अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता|
ये शायरी भी दिल बहलाने
का एक तरीक़ा है साहब
जिसे हम पा नही सकते
उसे अल्फ़ाज़ो में जी लेते है|
ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है
मेरे खामोश सवालो पर
तब दिल की जुबाँ
स्याही से पन्नें सजाती है
ये जान भी निकलेगी थोड़ा इंतज़ार तो कर
तेरे इश्क़ ने मारा है बचूँगा नहीं|