मैं रहूँ, ना रहूँ, …मेरी यादें मेरी सांसें , मेरे एहसास, मेरे अल्फ़ाज़ सब तुम्हारे पास गिरवी रह जाऐगे |
Category: प्यार शायरी
माना वो थोड़े से
माना वो थोड़े से रूखे रूखे है….!! पर ये भी सच है कि मोहब्बत हम उन्ही से सीखे है…
ऐसा भी हुआ होता
काश कभी ऐसा भी हुआ होता, मेरी कमी ने तुझे उदास किया होता ..
दोनो तरफ से हो
प्यार” तो इक तरफ से ही होता है।। दोनो तरफ से हो उसे तो “नसीब” कहते है|
हम भी ख़ामोश रहे
हम भी ख़ामोश रहे तुमने भी लब सी डाले दोनो चुप चाप सुलगते रहे तनहाँ तनहाँ
मोहब्बत की तपिश
कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर, . . बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे….!!
कहने को ज़िन्दगी थी
कहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख़्तसर मगर..! कुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया…!!
मुझसे मिलना है तो
मुझसे मिलना है तो समुन्दर की गहराई में आना होगा… मैं बेजान लाश नहीं जो तैरकर ऊपर आऊ…!!
जो जहर हलाहल है
जो जहर हलाहल है वो ही अमृत है नादान, मालूम नही तुझको अंदाज है पीने के ।।
सर क़लम होंगे
सर क़लम होंगे कल यहाँ उन के जिन के मुँह में ज़बान बाक़ी है |