ज़मीं पर आओ

ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता|

हमने तो बेवफा के भी

हमने तो बेवफा के भी दिल से वफ़ा किया
इसी सादगी को देखकर सबने दगा किया
मेरी टिशनगी तो पी गयी हर जख्म के आँसू
गर्दिश मे आके हमने अपना घर बना लिया

ये सोच कर

ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले
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उसकी गली के बच्चे आपस में लड़ा दिए मैंने !!