जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जुबाँ न भी बोले तो,
मुश्किल नहीं…
फिक्र तब होती है जब…
खामोशी भी बोलना छोड़ दें…।।
कुछ अजीब सा रिश्ता है उसके और मेरे दरमियाँ,
ना नफरत की वजह मिल रही है, ना मोहब्बत का सिला…!!!
बरसों बाद इक ख़त आज आया है,
तुम्हे याद आई है या गलत पते पे आया है…!!!
होंगी कुछ उनकी भी मजबूरियाँ,
यूंही कोई हमेशा ऑफलाइन नहीं होता…!!!
गया था उस गली मे यूही कोई काम ना था,
देखा जबसे उसको वहां अब रोज काम होता है…!!!
अक्सर सोचता हूँ देख कर तस्वीर तेरी,
जो तुझसे मोहब्बत ना होती तो क्या होती ज़िन्दगी मेरी…!!!
तुम याद भी आते हो तो चुप रहता हूं,
कि आंखो को खबर हुई तो बरस जायेगीं…..!!
जुलाई की गर्मी तो हम सह लेगें मेरी जान,
मार डालेगा मगर हमें तेरे लहज़े का गर्म होना…!!!
तुम से कहा था ना कि…..
हम मर जायेंगे,लो मर गये, तुम पर..!!!!
अब दफ़ना लो “अपनी बाहों” में….!
तुम्हें याद हैं वो तुमसे हुई लम्बी लम्बी बातें,
या हमारे साथ साथ उन्हें भी भूला दिया…!!!