तू ज़ाहिर है लफ्जों में मेरे…
मैं गुमनाम हूँ खामोंशियों मे तेरी…
Category: प्यार शायरी
आज सुबह सुबह
आज सुबह सुबह
मौत बड़े गुस्से में आके मुझसे बोली की
“मैं तेरी जान ले लूँगी”
मैंने भी कह दिया की जिस्म
लेना है तो ले ले जान तो कोई और ले गया है ll
अब मत करो
अब मत करो
हमसे…तुम मोहब्बत की बातें,
जिन किताबों से तुमने मोहब्बत सीखी है,वो लिखी भी हमने
ही थी
आज हम हैं
आज हम हैं कल
हमारी यादें होंगी,
जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी,
कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने,
तब
शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी
हद से ज्यादा
हद से ज्यादा बढ चुका
है तेरा नजरअंदाज करना;
ऐसा सलूक ना करो कि हम भूलने पर मजबूर हो जाये…
मैं सदा बेतरतीब
मैं सदा बेतरतीब और
बेहिसाब ही रहता हूँ,
उलझी-उलझी सी जिंदगी मुझे पसंद है शायद…
मैं पसंद करता हूँ
मैं पसंद करता हूँ उन
लोगो को…
जो मुझे पसंद नहीं करते…!!!
कुछ कहा मैंने
ऐ उम्र !
कुछ कहा मैंने,
पर शायद तूने सुना नहीँ..
तू छीन सकती है बचपन मेरा,
पर बचपना नहीं..!!
हर बात का कोई जवाब नही होता
हर इश्क का नाम खराब नही होता…
यु तो झूम लेते है नशेमें पीनेवाले
मगर हर नशे का नाम शराब नही होता…
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते है
हंसती आखों में भी जख्म गहरे होते है
जिनसे अक्सर रुठ जाते है हम,
असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते है..
किसी ने खुदासे दुआ मांगी
दुआ में अपनी मौत मांगी,
खुदा ने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या कहु जिसने तेरी जिंदगी की दुअा मांगी…
हर इंन्सान का दिल बुरा नही होता
हर एक इन्सान बुरा नही होता
बुझ जाते है दीये कभी तेल की कमी से….
हर बार कुसुर हवा का नही होता!!!………
मंज़िल कहाँ ऐसे वैसों
सोनेरी संध्या…
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो
खर्च करने से पहले कमाया करो
ज़िन्दगी क्या है खुद ही समझ जाओगे
बारिशों में पतंगें उड़ाया करो
दोस्तों से मुलाक़ात के नाम पर
नीम की पत्तियों को चबाया करो
शाम के बाद जब तुम सहर देख लो
कुछ फ़क़ीरों को खाना खिलाया करो
अपने सीने में दो गज़ ज़मीं बाँधकर
आसमानों का ज़र्फ़ आज़माया करो
चाँद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ
ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो
मुफ़्त में सिर्फ
मुफ़्त में सिर्फ माँ -बाप का प्यार मिलता है,
उसके बाद हर रिश्ते की कीमत चुकानी पड़ती है …