ना जाने किसकी
दुआओं का फैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ना जाने किसकी
दुआओं का फैज़ है मुझपर,
मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..
जब कभी खुद की
हरकतों पर शर्म आती है …..
चुपके से भगवान को भोग खिला देता
हूँ …..
मै रोता रहा रात भर
मगर फैंसला न कर सका,
तू याद आ रही है, या मैं याद कर रहा
हूँ…
छोड़ दिया उसका
इंतजार करना हमेशा के लिए..
ऐ दोस्तों जिसे निगाह की क़दर
नहीं..
उसे मूड मूड कर क्या देखना
उनकी बातों मैं प्यार
के तेवर कम थे…
जब आँखों में झाँका तो हम ही हम थे…!
अज़ब माहौल है हमारे
मुल्क का…
मज़हब थोपा जाता है, इश्क रोका जाता है….
कब से
धुप सेंकने के बहाने छत पर हूँ,
पर वो बाल सुखाने नहीं आई अभी
तक।।।
यूँ ना देखा करो ….खुदा के लिए ,
मोहब्बत बढ़ गई तो मुसीबत हो जाएगी…
दिल का राज है
लेकिन तुम्है बतला रहा हूँ मैँ “”
“” जिसे खुद भी नही मालुम उसी को चाह रहा हूँ…
दिल को बेचैन सा करती है तुम्हारी आंखें…! •
रात को देर तक तुम मुझे सोचा ना करो..