नाज़ुक मिजाज है वो परी कुछ इस कदर.. पायल जो पहनी पाँव मै तो छम-छम से डर गई..
Category: प्यार शायरी
अब वहां यादों का
अब वहां यादों का बिखरा हुआ मलवा ही तो है.. जिस जगह इश्क ने बुनियादे-मका रखी थी..
बेनूर सी लगती है
बेनूर सी लगती है उससे बिछड़ के जिंदगी.. अब चिराग तो जलते है मगर उजाला नहीं करते..
हर मर्ज़ का इलाज़
हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में … मोहब्बत का नाम लिया, दवाख़ाने बन्द हो गये…
आँधियों जाओ अब करो
आँधियों जाओ अब करो आराम, हम खुद अपना दिया बुझा बैठे
पहले ढंग से
पहले ढंग से तबाह तो हो ले मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …
बेताबी उनसे मिलने की
बेताबी उनसे मिलने की इस क़दर होती है हालत जैसी मछली की साहिल पर होती है
बिन तुम्हारे कभी
बिन तुम्हारे कभी नही आयी क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है
इक मुद्दत से
इक मुद्दत से कोई तमाशा नहीं देखा बस्ती ने कल बस्ती वालों ने मिल-जुलकर मेरा घर फूंक दिया
चल पड़ा हूँ
चल पड़ा हूँ मगर दिल से ये चाहता हूँ.. उठ के मुझे वो रोक ले और रास्ता ना दे..