हम से सीखये रास्तो पे चलने का सलीका,
हम दुनीयाभर की ठोकरे खा कर बैठे है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम से सीखये रास्तो पे चलने का सलीका,
हम दुनीयाभर की ठोकरे खा कर बैठे है…
अब अँधेरों में जो हम ख़ौफ़-ज़दा बैठे है..
क्या कहें ख़ुद ही चराग़ों को बुझा बैठे है.!
बारिश की बूंदों में झलकती है तेरी तस्वीर,आज फिर भीग बैठे तुझे पाने की चाहत में !
दर्द की बिसात है, मैं तो बस प्यादा हूँ,
एक तरफ ज़िन्दगी को शय है, एक तरफ मौत को भी मात है।
तुम तो लफ़्ज़ों को यूँ जोड़ कर उन्हें शायरी कह देते हो,
मैने तो सुना था कि कुछ टूटे तो शायर बनता है… !!
अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते
पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नहीं जाते|
अजीब क़र्ब है दिल से जुदा नही होता ।
तिरा वजूद क्यों मुझमे फ़ना नही होता है ।
बस एक तू ही हमारा ना हो सका जाना ।
वग़रना होने को दुनिया में क्या नही होता ।
चंद साँसें बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
ज़िन्दगी वीरान थी और मौत भी गुमनाम ना हो,
मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो।
क्या कुछ नहीं करता इंसान इसे संवारने के लिए
फिर भी साथ छोड़ देती है बड़ी बेवफा ज़िंदगी है..!!
अपनी तस्वीर बनाओगे तो होगा एहसास
कितना दुश्वार है ख़ुद को कोई चेहरा देना|