फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग
देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग
देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग|
तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको…
हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..
बड़ी मुश्किलों के बाद पत्थर बना हूँ,
मैं जीना चाहता हूँ यारो मुझे मोम न करो…
अभी तक, याद कर रहे हो पागल;
उसने तो तेरे बाद भी, हज़ारों भुला दिए!
उन अभागे क्षणों की समीक्षा न हो
आँख जब इक उदासी का घर हो गयी
चुप रहे हम सदा कुछ न बोले कभी
चुप्पियाँ फिर गुनाहों का स्वर हो गयी
न्याय का कब कोई एक आधार है
यातना हर घड़ी
याचना जन्मभर ।
…
देह वनवास को सौंपकर वो चला
चित्त घर की दिशा
शेष जाने किधर ।
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं…
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..
लोग उस वक्त हमारी कदर
नही करते…
जब हम अकेले होते हैं…
लोग उस वक्त हमारी कदर करते हैं…
जब वो अकेले होते हैं….
हारने के बाद इंसान नहीं टूटता…..
हारने के बाद लोगों का रवय्या
उसे टूटने पर मज़बुर करता है…
बहुत याद आते है वो पल जिसमे
आप हमारे और हम तुम्हारे थे |
सार मेरी साधना का शेष रहना चाहिये,
मैं भले ही मिट जाऊँ, मगर मेरा देश रहना चाहिये….