जमीन जल चुकी है
आसमान बाकी है,
दरख्तों तुम्हारा
इम्तहान बाकी है…!
वो जो खेतों की मेढ़ों
पर उदास बैठे हैं,
उन्हीं की आँखों में अब
तक ईमान बाकी है..!!
बादलों अब तो बरस
जाओ सूखी जमीनों पर,
किसी का मकान गिरवी है
और किसी का लगान
बाकी है…!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जमीन जल चुकी है
आसमान बाकी है,
दरख्तों तुम्हारा
इम्तहान बाकी है…!
वो जो खेतों की मेढ़ों
पर उदास बैठे हैं,
उन्हीं की आँखों में अब
तक ईमान बाकी है..!!
बादलों अब तो बरस
जाओ सूखी जमीनों पर,
किसी का मकान गिरवी है
और किसी का लगान
बाकी है…!!!
साफ दामन का दौर खत्म हुआ है अब,
लोग अपने धब्बों पर गुरूर करने लगे हैं…
जन्नत का हर लम्हा
दीदार किया था ।।
माँ तूने गोद मे उठा कर
जब प्यार किया था | |
अब मैं कुछ कहता नही तुमसे ,,
बस लिखकर मिटा देता हूँ ,
भेजता नही हूँ तुम्हे ,
इससे मेरा कहना भी हो जाता है और तुम सुनते भी नहीं |
बड़ी अजीब सी खबर फैली हैं ज़माने मैं
जो मुझे याद भी नहीं करती मुझे लगता हैं वो मेरी खबर रखती हैं|
वो जान ही गये कि हमें उनसे मुहबबत है,
आंखो की मुखबिरी का मज़ा हमसे पूछिए..
वास्ता नही रखना .. तो फिर मुझपे .. नजर क्यूं
रखती है …
मैं किस हाल में जिंदा हूँ … तू ये सब खबर क्यूं रखती है ….
कागज़ की कास्तियाँ मियां समंदर मैं नहीं चलती|
किसी ने भेज कर काग़ज़ की कश्ती…बुलाया है समन्दर पार मुझ को…
मियां इश्क़ से पहले तो हम भी इंसान हुआ करते थे सुना है।