रखा करो नजदीकियां,
ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं. . . .
फिर मत कहना चले भी गए…
और बताया भी नहीं. . . !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रखा करो नजदीकियां,
ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं. . . .
फिर मत कहना चले भी गए…
और बताया भी नहीं. . . !
खतों से मीलों सफर
करते थे जज़्बात कभी,
अब घंटों बातें करके भी
दिल नहीं मिलते…!
क़ाबिलियत, ताक़त को ज़िन्दा रखिये….
तराशिये….धूल मत जमने दीजिये…
ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत
आने पर भी ऊँची उड़ान भर पायेंगे |
उस को भी हम से मोहब्बत
हो ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की
कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
आजकल के हर आशिक की
अब तो यही कहानी है,
मजनू चाहता है लैला को,
लैला किसी और की दीवानी है..
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है,
और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..
ऐसा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था, बस वैसा नहीं था वो….
अपने हाथों की हथेली पर उसका नाम तो लिख
दिया…पर ये सोच कर बहुत रोया के तकदीर तो खुदा लिखता है..
ख्वाहिशें तो मेरी छोटी छोटी ही थी
पुरी ना हुई तो बड़ी लगने लगी..