चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये.. मुश्किलें जिन्दगी की अब मजा देने लगी हैं!!!
Category: पारिवारिक शायरी
कितना अजीब होता है
वक़्त भी कितना अजीब होता है यारोँ,
किसी का कटता नही और किसी के पास होता नही….
चैन से रहने का
चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये.. मुश्किलें जिन्दगी की अब मजा देने लगी हैं!!!
जाने किस किस को
जाने किस किस को लूटा है इस चोर ने मसीहा बनकर,
के आओ
सब मिलकर इश्क पे मुकदमा कर दें….
देखते ही देखते
देखते ही देखते शहरों की रौनक़ बन गया,
कल यही चेहरा था जो हर आईने पे भार था|
मुझको हर ख़्वाब की
मुझको हर ख़्वाब की ताबीर स डर लगता है
भीगी पलको पे कोई ख़्वाब सजाऊं कैसे|
मुहब्बतों के दिनों की
मुहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है ,
यह रूठ जायें तो फिर लौटकर नहीं आते
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मकान बन जाते है
मकान बन जाते है कुछ हफ़्तों में,
ये पैसा कुछ ऐसा है..
और घर टूट जाते है चंद पलों में,
ये पैसा ही कुछ ऐसा है…!!!
ज़मीं पर आओ
ज़मीं पर आओ फिर देखो हमारी अहमियत क्या है
बुलंदी से कभी ज़र्रों का अंदाज़ा नहीं होता|
अब ना कोई शिकवा
अब ना कोई शिकवा,ना गिला,ना कोई मलाल रहा.सितम तेरे भी बेहिसाब रहे, सब्र मेरा भी कमाल रहा!!