अगर कसमें सच्ची होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर कसमें सच्ची होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता|
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!
बेनाम आरजू की वजह ना पूछिये,
कोई अजनबी था, रूह का दर्द बन गया…!
दीवाना पूछता है ये लहरों से बार-बार…
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं…!!!
शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के सिन्धु में बताशा है…
मर्म की बात होंठ से न कहो …
मौन ही भावना की भाषा है
हर ज़ुबां में कह के देख लिया
हाल ए दिल उनसे,
एक ख़ामोशी को भी अब
आज़मां के देखते हैं|
आसमान की ऊँचाई नापना छोड़ दे…
जमीन की गहराई बढ़ा, अभी ओर नीचे गिरेंगे लोग..
अजब ये है कि मोहब्बत नहीं की अब तक;
ग़ज़ब ये है कि फिर भी शायरी का हुनर रखते हैं…
बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है !
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!!!
जिन्दगी जीने का मजा तब तक जब तक वो जरा अधूरी रही,
मौका दूसरा हर किसी के मुकद्दर में हो ये जरूरी नहीं।।