एक पुत्र ने दो खूबसुरत पंक्तियां लिखी
पिता की मौजदगी सूरज की तरह होती है,
सूरज गरम जरुर होता है पर अगर न हो तो अँधेरा छा जाता है|
Category: पारिवारिक शायरी
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ ,
पर आज भी अनुभव के मामले मे मैं उनके घुटनो तक ही आता हूँ ।
तकलीफ़ उन्हें भी थी मेरी बातों से
लकीरे है तो रहने दो
जिंदगी एक पल है
जिंदगी एक पल है,
जिसमें न आज है न कल है,
जी लो इसको इस तरह,
कि जो भी आपसे मिले वो यही कहे,
बस यही ‘मेरी’ जिंदगी का सबसे हसीन पल है.
संकल्प पूरे होते हैं
सपने कभी पूरे नहीं होते , संकल्प पूरे होते हैं ।
छोड़ दी सारी खाव्हिश
छोड़ दी सारी खाव्हिश जो तुझे पसंद ना थी ए दोस्त….
तेरी दोस्ती ना सही पर तेरी ख्वाहिश आज भी पूरी करते है..!!
असली प्यार तो वो होता था
असली प्यार तो वो होता था जब मां की एक बात का न मानना तो
हवा में लहराती हुई “पैरागॉन “चप्पल आकर सीधी मुहं पर लगती थी!!!! 😁😁😁
दादा दादी के पास बैठना है
दुनिया का सबसे फायदेमंद सौदा दादा दादी के पास बैठना है,
चंद लम्हों के बदले में वो आपको बरसो का तजुर्बा देते है…!!!
भूखा गरीब जो फूटपाथ पर पड़ा था
लोग उसे शराबी समझते रहे,
दो दिन का भूखा गरीब जो फूटपाथ पर पड़ा था…!!!