दर दर भटक रही थी पर दर नहीं मिला, उस माँ के चार बेटे हैं पर रहने को घर नहीं मिला।
Category: पारिवारिक शायरी
कह दो अंधेरों
कह दो अंधेरों से कही और घर बना लें, मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
बचपन में जब
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे, जहाँ चाहा रो सकते थे. अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए, अश्कों को तनहाई ..
इस बनावटी दुनिया में
इस बनावटी दुनिया में कुछ सीधा सच्चा रहने दो, तन वयस्क हो जाए चाहे, दिल तो बच्चा रहने दो, नियम कायदो की भट्टी में पकी तो जल्दी चटकेगी, मन की मिट्टी को थोडा सा तो गीला, कच्चा रहने दो|
ये है ज़िन्दगी
ये है ज़िन्दगी किसी के घर आज नई कार आई और किसी के घर मां की दवाई उधार आई..
कैसी भी हो एक बहन
कैसी भी हो एक बहन होनी चाहिये……….। . बड़ी हो तो माँ- बाप से बचाने वाली. छोटी हो तो हमारे पीठ पिछे छुपने वाली……….॥ . बड़ी हो तो चुपचाप हमारे पाँकेट मे पैसे रखने वाली, छोटी हो तो चुपचाप पैसे निकाल लेने वाली………॥ . छोटी हो या बड़ी, छोटी- छोटी बातों पे लड़ने वाली,एक बहन… Continue reading कैसी भी हो एक बहन
सारा जहाँ मिलता है
सारा जहाँ मिलता है… बस वो नहीं मिलता… जिसमे जहाँ मिलता है…!!
जैसे जैसे तू
जैसे जैसे तू हसीन दिखने लगी है… मेरी ✏ कलम और भी अच्छी शायरी लिखने ✔ लगी है…
जिस के होने से
जिस के होने से मैं खुद को मुक्कमल मानता हूँ मेरे रब के बाद मैं बस मेरी # माँ को जानता हूँ !!!
मुफ़्त में सिर्फ
मुफ़्त में सिर्फ माँ -बाप का प्यार मिलता है, उसके बाद हर रिश्ते की कीमत चुकानी पड़ती है …