भीगी है अब तलक मेरी कब्र की दीवारें,
लगता है अभी अभी कोई रो कर गया है
Category: पारिवारिक शायरी
मिलता ही नही तेरे जैसा
मिलता ही नही तेरे जैसा कोई और इस दुनिया में!
मुझे क्या पता था कि तु एक है और वो भी किसी और की !
खुले मैदानों में
दौड़ने दो खुले मैदानों में नन्हे कदमों को साहब,
ज़िन्दगी बहुत भगाती है बचपन गुजर जाने के बाद.
हमने जब कहा
हमने जब कहा नशा शराब का लाजवाब है,
तो उसने अपने होठो से सारे वहम तोड़ दिए।
वक़्त यूँ ही
वक़्त यूँ ही ठहर जाए हमदम
दिल की इतनी सी इक आरज़ू है
एक मैं हूँ यहाँ एक तू है…
दिल में इजाजत
बस जाते हैं दिल में इजाजत लिये बगैर,
वो लोग, जिन्हें हम जिन्दगी भर पा नहीं सकते..!!
बरसती है अदाओं से
निगाहों से,बरसती है अदाओं से..
कौन कहता है मोहब्बत पहचानी नहीं जाती
इश्क का हफ़्ता
इश्क का हफ़्ता गुज़र गया,
नफ़रतों का पूरा साल बाकी है…!!
ज़िदगी जीने के लिये
ज़िदगी जीने के लिये मिली थी,
लोगों ने सोचने में ही गुज़ार दी….
इस अदा से
कुछ इस अदा से तोड़े है ताल्लुक उसने,
एक मुद्दत से ढूंढ़ रहा हूँ कसूर अपना !!