अंजाम की ख़बर तो साहब . . कर्ण को भी थी. . .पर बात दोस्ती निभाने की थी..
Category: दोस्ती शायरी
लोग रूप देखते हैं
लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं;
लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं;
बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं;
हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।
हर कोई भूल जाता है
हर कोई भूल जाता है अपने शहर को,
उतरता है जब भी खाबों की डगर को।
पा गये हो दोस्त तुम कुछ चार दिन के
भूल गये दोस्त, नाता पुराना साथ जिनके।
मै रंग हुँ
मै रंग हुँ तेरे चेहरे का….
जितना तू खुश रहेगा
उतना ही मै निखरती जाऊँगी.!!
फूलो कि वादी में
फूलो कि वादी में हो बसेरा आपका, चाँद सितारो के आँगन में हो घर आपका,
ये दिल से दुआ हे एक दोस्त कि दूसरे दोस्त से,
के तुम से भी खूबसूरत हो मुकदर तेरा|
दोस्ती की हुकुमत है!
दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है!दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है!
आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ!
वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!
बेपर्दगी का आलम
बेपर्दगी का आलम क्या बताऊँ तुझको…..
ऐ
दोस्त !!!
कीमती चादरें मजारों पर और “इज्ज़तें”
बेलिबास फिरती हैं
वो पत्थरो से मांगते है
वो पत्थरो से मांगते है,
अपनी मुरादे दोस्तों;
हम तो उनके भक्त है,
जिनके नाम से पत्थर भी तैरते है ..
ज़रा सा वक़्त सही
अकेले बैठोगे, तो मसले जकड लेंगे.,
ज़रा सा वक़्त सही , दोस्तों के नाम करो
बर्बाद-ए-दिल
मिट गई बर्बाद-ए-दिल की शिकायत दोस्तों…!
अब गुलिस्ताँ रख दिया है मै ने वीराने का नाम