उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के
भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के
Category: दोस्ती शायरी
तबाह करके चैन
तबाह करके चैन उसे भी कहाँ होगा..
बुझाकर हमे वो खुद भी धुआं धुआं होगा..
किसी के नहीं होते
आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते,
जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!!
ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों…
की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….
इस नई उम्र में
इस नई उम्र में प्यार से हारकर
ज़िन्दगी इक अजाना सा डर हो गई!
एक व्यापार था इक लड़ाई सी थी
प्यार में प्यार का एक पल भी न था
प्रीत का जीतना एक कहानी ही है
हारने के सिवा कोई हल भी न था
जो बचा न सकी अपने किरदार भी
वो कथा ही यहाँ फिर अमर हो गई !
मरने का मजा
मरने का मजा तो तब है ..
दोस्त
जब जनाजे में कातिल भी आकर रोये..!!
एक वो वक़्त था
एक वो वक़्त था जब काना बाँसुरी बजाता और सारी गोपियाँ घर से बहार निकल आती और एक आज है जब कचरावाला आके सीटी मारता है और सब गोपियां घर के बहार…
बिछड़ के भी
बिछड़ के भी वो रोज मिलते है हमसे ख्वाबों में….
ये नींद न होती तो हम कब के मर गये होते….
इकतरफ़ा इश्क़
इकतरफ़ा इश्क़ का अपना ही है मज़ा
अपना ही गुनाह है अपनी ही सज़ा
काश वो आकर
काश वो आकर कहे, एक दिन मोहब्बत से……!!
ये बेसब्री कैसी ? तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!
आज फिर चाँद की
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ
आज फिर महकीं हुई रात में जलना होगा ।