क्यूँ मुश्किलों में

चंद लाइने मेरे प्यारे से दोस्तों के नाम:-
“क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं, “दोस्त”
“क्यूँ गम को बाँट लेते हैं, “दोस्त”
“न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है।
“फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं, “दोस्त”

एक सिक्का उछालना

कभी हमारी दोस्ती के बारे में शक हो तोअकेले में एक सिक्का उछालना…..अगर हेड आया तो हम दोस्त
और टेल आया तो पलट देना यार अकेले में कौन देखता है……..

साँसों की पतंगें

कटी जाती है साँसों की पतंगें हवा तलवार होती जा रही है,

गले कुछ दोस्त आकर मिल रहे हैं छुरी पर धार होती जा रही है…!!!

प्यारे से दोस्त

एक काम करना,थोड़ी सी मिट्टी लेना,
उससे दो प्यारे से दोस्त बनाना।

इक तुझ जैसा….एक मुझ जैसा….
फिर उनको तुम तोड़ देना।

फिर उनसे दोबारा दो दोस्त बनाना,
इक तुझ जैसा…एक मुझ जैसा…

ताकि तुझ में कुछ-कुछ मैं रह जाऊँ
और मुझ में कुछ-कुछ तुम रह जाओ।

कुछ तुम जैसा कुछ मुझ जैसा..