टाट के सही.. पर्दे डाल लीजिये साहब
घर का राज कहते है ये बेलिबास दरवाजे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
टाट के सही.. पर्दे डाल लीजिये साहब
घर का राज कहते है ये बेलिबास दरवाजे
इक़रार ए मोहब्बत पे जो ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं
उन्हीं लबों पे इक दिन खिलेंगे गुलाब आहिस्ता
आहिस्ता
किसी की आस बनकर फिर उसे तन्हा नहीं करते,
भले कितना ही मुश्किल हो, सफर छोङा नहीं करता..
नामुमकिन” ही सही मगर,
महोब्बत” तुजसे ही है
किसी से कम नहीं होते,
महबूब की आगोश में गुज़रते है जो पल !!
वक़्त के अपने भी कैसे अजीब क़िस्से हैं,
मेरा कटता नहीं और उनके पास होता .नही…..!!
कमाल करता है ….ऐ दिल तू भी…
उसे फुरसत नहीं और,,,तुझे चैन नहीं..!!
सुनो,
तुम अब बस करो, लफ्जों से
चोट मत दो;
दर्द होता हैं वहाँ, जहाँ तुम
रहते हो…..
दिल खामोश सा रहता है आज कल,
मुझे शक है कही मर तो नही गया है ये !!
किसी को खुश करने का
मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना बड़े नसीब वाले होते है वो, जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर
दूध का सार है मलाई मे
और जिंदगी का सार है भलाई में