वो फूल हूँ

वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा,
वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा,
कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज,
जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।

छलका तो था

छलका तो था कुछ इन आँखों से उस रोज़..!!

कुछ प्यार के कतऱे थे..कुछ दर्द़ के लम्हें थे….!!!!

आजाद कर देंगे

आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..